Friday, May 12, 2017

अब नभ से भी होगी काँर्बेट की सुरक्षा

काँर्बेट टाइगर रिजर्व में अभी तक थल व जल से नजर रखी जा रही थी, लेकिन अब यहां नभ से भी नजर रखी जा रही है। इसके लिए काँर्बेट प्रशासन ड्रोन का उपयोग कर रहा है। ड्रोन के द्वारा यहां पांच किलोमीटर क्षेत्र में नजर रखी जा रही है। यह ड्रोन पांच किलोमीटर तक चले जाता है। इस ड्रोन से जहां हैबिटेट मैनेजमेंट में मदद ली जा रही है, वहीं यह हैबिटेट असेसमेंट में भी इसकी मदद ली जा रही है। इसके अलावा इस गर्मी के सीजन में जब आग लगने का खतरा ज्यादा होता है (जंगल में फायर सीजन ही होता है) इसमें भी यह काफी कारगर साबित हो रहा है। 

      काँर्बेट के उपनिदेशक अमित वर्मा बताते हैं कि इस ड्रोन से हम काँर्बेट की सीमा में आराम से नजर रख पा रहे हैं। इससे हमारी सुरक्षा ब्यवस्था और चाक चौबंद हो गई है। इस ड्रोन के आने के बाद से काँर्बेट की एसओजी इससे सीमाओं में नजर रख रही है। जिससे की बाघों और उसके पर्यावास की सुरक्षा में कोई सेंध ना लगा सके। 

     टाइगर रिजर्व के उपनिदेशक ने बताया कि हमारे पास उपलब्ध डीजीआई फैंटम फोर ड्रोन पांच किलोमीटर दूरी तक जा सकता है। जिसका मतलब है कि एक जगह पर बैठे बैठे ही आप पांच किलोमीटर दूर तक की तस्वीरे देख सकते हैं। इसके आने के बाद से निश्चित रुप से टाइगर रिजर्व की सुरक्षा चाक-चौबंद हुई है। 

         उन्होने बताया कि यदि आपके फोन में इंटरनेट का कनेक्शन है तो आप अपने कार्यालय में बैठ कर ही इसकी तस्वीरे देख सकते हैं। इसमें लगा एच डी कैमरा लाइव वीडियों तस्वीरें उपलब्ध कराता है। जिससे किसी भी क्षेत्र की नभ से स्कैनिंग की जा सकती है। 

     काँर्बेट के उपनिदेशक अमित वर्मा ने कहा कि पूरे विश्व में ही वाइल्ड लाइफ मैनेजमेंट में ड्रोन का प्रयोग किया जाता है। अभी एनटीसीए द्वारा ई बर्ड नाम का प्रोजेक्ट चल रहा है। जो भारतीय वन्यजीव संस्थान के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसके तहत भी अभी अच्ची क्वालिटी के ड्रोन मिलने हैं। जिसके बाद बाघों की राजधानी के नाम से प्रसिद्व काँर्बेट की सुरक्षा और सुदृढ हो जायेगी।

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