रामनगर की लाइफ लाइन कोसी नदी में महाशीर मछलियां भी पाई जाती हैं। यह महाशीर मछलियां अब विलुप्त होने की कगार पर हैं। इन महाशीर मछलियों का शिकार बहुतायत में किया जाता रहा है। जिसके कारण यह मछलियां अब विलुप्ति की ओर हैं। मैदानी क्षेत्र में कुछ ही नदियां हैं जिनमें यह मछलियां पाई जाती है। ऐसे में कोसी नदी महाशीर मछलियों के लिए खास मानी जाती है। और मजे की बात यह है कि इन मछलियों को मारने का परमिट भी वन विभाग ही देता रहा है।
फोटो साभार संजय छिम्वाल
अब इन मछलियों के शिकार को रोकने के लिए वन महकमा एक योजना तैयार करने जा रहा है। विभाग की यदि माने तो वह शीघ्र ही एक ऐसी योजना बनाने जा रहा है। जिसमें इनको मारने वाले धीमर ही इन्हें बचाने के काम में लगाये जायेंगे।
विभाग अभी तक इस नदी में महाशीर के शिकार के लिए 22 धीमरों को इसके शिकार का परमिट देता आ रहा है। यह धीमर यहां से इन मछलियों का शिकार कर बाजार में इसे बेचकर अपनी रोजी-रोटी चलाते हैं। रामनगर वन प्रभाग की डीएफओ नेहा वर्मा का कहना है कि कोसी नदी के सात पाँकेट चिन्हित किये गये हैं। जिनमें महाशीर मछली देखी जा रही है। इन पाँकेटों में अब धीमरों को नेचर गाइड बनाकर ही इसका संरक्षण किया जायेगा। इस योजना को इको टूरिज्म से जोडा जायेगा। और इन मछलियों को पर्यटकों को दिखाया जायेगा। जिसका शुल्क पर्यटकों से वसूला जायेगा। जिससे इन नेचर गाइड को वेतन दिया जायेगा।
रामनगर वन प्रभाग की यह योजना यदि परवान चढी तो इससे जहां महाशीर मछलियों का संरक्षण तो हो ही सकेगा। साथ ही पर्यटकों को महाशीर मछली के बारे में जानने और समझने का भी अवसर मिल सकेगा।
फोटो साभार संजय छिम्वाल
अब इन मछलियों के शिकार को रोकने के लिए वन महकमा एक योजना तैयार करने जा रहा है। विभाग की यदि माने तो वह शीघ्र ही एक ऐसी योजना बनाने जा रहा है। जिसमें इनको मारने वाले धीमर ही इन्हें बचाने के काम में लगाये जायेंगे।
विभाग अभी तक इस नदी में महाशीर के शिकार के लिए 22 धीमरों को इसके शिकार का परमिट देता आ रहा है। यह धीमर यहां से इन मछलियों का शिकार कर बाजार में इसे बेचकर अपनी रोजी-रोटी चलाते हैं। रामनगर वन प्रभाग की डीएफओ नेहा वर्मा का कहना है कि कोसी नदी के सात पाँकेट चिन्हित किये गये हैं। जिनमें महाशीर मछली देखी जा रही है। इन पाँकेटों में अब धीमरों को नेचर गाइड बनाकर ही इसका संरक्षण किया जायेगा। इस योजना को इको टूरिज्म से जोडा जायेगा। और इन मछलियों को पर्यटकों को दिखाया जायेगा। जिसका शुल्क पर्यटकों से वसूला जायेगा। जिससे इन नेचर गाइड को वेतन दिया जायेगा।
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