Wednesday, June 1, 2011

शिकारियों का शिकार बना है बाघ


मंगलवार को बाघ की मौत के मामले में बाघ बचाओ समिति का अनुमान ठीक निकला. इस बाघ की मौत का कारण दम घुटना बताया जा रहा. जिसका इशारा साफ़ है की यह शिकारियों का शिकार बन गया है. अब वही जाँच की बातें और रेड अलर्ट की घोषणा. अब कोई वन महकमे से यह तो पूछे कि भाई इस रेड अलर्ट में कितने वन कर्मी और बढ़ाये जायेंगे. या कोई विशेष फोर्स वहां गश्त करेगी. खैर रामनगर वन प्रभाग की इस बात के लिए दाद तो देनी ही होगी कि उन्होंने वास्तविकता को स्वीकार किया है, कि उनके पहले मरे दो बाघ संदिग्ध थे अब एक और बाघ की मौत भी स्वाभाविक नहीं है.............

अब दो सदस्यीय टीम इसके मौत के कारणों की पड़ताल करेगी. इसका परिणाम उन्हें १ महीने के अन्दर देना होगा. उधर लगातार हो रही बाघों की मौत पर वन्यजीव प्रेमियों के आक्रोश और मीडिया के कड़े रूख के बाद ही  शायद सरकार और महकमा जागेगा. अफ़सोस यह है कि सेव द टायगर कैम्पेन चलाने में खुद को सबसे आगे दिखाने वाले एन टी सी ए के किसी अधिकारी और प्रदेश के किसी बड़े वन अधिकारी ने यहाँ आकर इनकी मौत की सुध लेना भी अभी तक उचित नहीं समझा है.

5 comments:

  1. bagh bachao samiti lagataar ho rhi baghon kee maut se kafi chintit hai. samiti to jab kahatpapani me bagh mara tha tab se hi kah rahi hai ki park ke andar pochar ghus gaye hain. lekin koi maanane ko taiyar hi nahi tha. ek sandigdh ko to bijrani ke andar se pakda bhi gaya tha. lekin vibhag ne use pagal bata kr chhod diya. khatpani me kyon inhone kisi ko ghusane nahi diya. core zon ka bahana bana kr yah log apni nakamyabi chhipa rhe hain. vahan huye bagh kee maut bhi sandigdh hee hai, bhale hi vibhag koi bhi kahani banata rhe. bagh bacho samiti ne 2 june ko CM ko gyapan bhej kr in mauton kee uchchastareey jaanch kee maang kee hai. yadi mang nahi maani gayi to samiti sadakon pr utarne ko majboor hogi.
    madan joshi, bagh bachao samiti

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  2. वर्तमान परिस्थितयो में प्रशिक्षण का अभाव व संसाधनों के टोटे के चलते वन विभाग घायल वन्य जीवो की मदद कर पाने में सक्षम नहीं है.लेकिन घटना की प्राथमिकी दर्ज कर पुलिस की मदद से घटना स्थल के आस-पास के वन क्षेत्रो में निवास करने वाले सक्रीय - निष्क्रिय वन्य जीव अपराधियों से कड़ी पूछ-ताछ तो कर ही सकता है. यदि ये लोग नहीं हुए तो जाहिर सी बात है,बाहरी लोग वन विभाग की आखो में धुल झोक कर इस घटना को अंजाम देते होंगे.
    तरीका ऐसा है की सामने वाला भी गलती कर जाए की मौत का कारण क्या है,क्योकि वो लोग जानते होंगे की वन विभाग कितना सक्षम.

    आज भी वन विभाग में वन्य जीव विशेषज्ञों का टोटा है,एम्बुलेंस है नहीं,वन्य जीव डाक्टर की टीम है नहीं, रेस्क्यू टीम है नहीं,आधुनिक उपकरण है नहीं, निपुणता,कोशलता का आभाव झलकता ही है.

    कॉर्बेट या जनपद स्तर पर wildlife crime control borad का क्षेत्रीय कार्यालय खुलना चाहिए. जिससे अपराधो के अनुसन्धान के साथ-साथ नियंत्रण भी हो सके.


    महेंद्र एस पवार

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