Monday, June 11, 2012

शिकार और शिकारी कॉर्बेट लेण्ड स्केप में बाघ आफत में

इस बीच कॉर्बेट के आस-पास खबरों की भरमार कुछ् अधिक रही, लेकिन में इस ब्लॉग के माध्यम से उसे आप लोगों से शेयर नहीं कर पाया। जिसका एक बड़ा कारण यह भी था की इस ब्लॉग में गूगल से शब्द हिंदी में अनुवादित नहीं हो पा रहे थे। आज जैसे ही हिंदी लिपि में शब्द शुरू हुए तो मैं हाजिर हूँ।
         
  कॉर्बेट नॅशनल पार्क में शिकारियों ने बाघों को मारने के लिए पूरा जाल बिछा लिया था। जिसकी पार्क प्रशासन को खबर तक ना हुयी. मामला पार्क के बिजरानी जोन का है. इस जोन के फूलताल में शिकारियों ने बाघ को पकड़ने के कड़के लगा दिए. यहाँ से चार कड़के वनकर्मियों को बरामद हुए हैं। इन कडको के साथ ही यहाँ से कुछ अन्य सामान भी बरामद हुआ है। यह मामला शायद कभी भी पकड़ में नहीं आता, यदि पार्क का यह हिस्सा आग की चपेट में नहीं आता। पार्क के इस क्षेत्र में 24 मई की रात को आग लग गयी. जिसे बुझाने गए वनकर्मियों में से एक वनकर्मी के पैर से एक कड़का टकरा गया। उसके बाद तो कॉर्बेट प्रशासन के होश ही उड़ गए। होश उड़ना लाजिमी भी है। क्योंकि बताया जा रहा है कि शिकारियों के गिरोह ने इस साल पूरे देश में 25 बाघों को अपने निशाने पर लिया हुआ है। जिसकी जानकारी ख़ुफ़िया विभाग ने देश के सभी टायगर रिजर्व को दे दी थी। जिसपर सभी टायगर रिजर्व चौकन्ने थे। बावजूद इसके पार्क के इस भाग में कडको का मिलना होश उड़ने के लिए काफी था। उसके बाद 29 मई तक यहाँ सघन काम्बिंग की गयी. और पूरे मामले को गोपनीय रखा गया। हालाँकि मीडियाकर्मियों को यहाँ से इस तरह का सामान पकडे जाने की भनक लग चुकी थी। और वह बार-बार इस मामले में पार्क प्रशासन से जानकारी मागते रहे लेकिन वह इस तरह के पूरे मामले को ही भ्रामक बताते रहे। बमुश्किल 30 मई को पार्क प्रशासन ने स्थानीय मीडिया के सामने इस तरह के सामन के पकडे जाने की पुष्टि की।  और माना की पार्क में शिकारी घुस आये हैं। अब वन विभाग पुलिस के साथ मिलकर शिकारियों की तलाश में लगा हुआ है। वहीँ इस पूरी घटना में घटनास्थल के पास से किसीवन्यजीव की आंते भी मिली हैं। जिसे वन महकमा सेही की आंत बता रहा है। जबकि कहा जा रहा की वन महकमा कितने ही दावे करे लेकिन शिकारी यहाँ से एक वनराज को मार कर उसके अंग ले जाने में सफल रहे हैं। वहीँ वन महकमे में इस मामले में तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। और उनका दावा है की यह वाही लोग हैं जो पार्क के अंदर घुस कर शिकार करने की फ़िराक में थे। यह तीनो ही बागडिया समूह के लोग बताये जा रहे हैं। यह सभी आरोपी हरियाणा के बताये जा रहे हैं। पार्क प्रशासन का दावा है कि यह चार लोग थे जो पार्क में शिकार की योजना बना रहे थे तभी इनको धर दबोचा गया है। इनमे से तीन को पकड़ने में वन महकमा सफल रहा जबकि सरगना दरिया टू भागने में सफल रहा। पकडे गए आरोपी रमेश, तारा और गुनिया हैं। पार्क प्रशासन की यदि माने तो यह लोग बाल्मीकि टायगर रिजर्व बिहार, कर्तानिया घाट वाईल्ड लाइफ सेंचुरी उत्तरप्रदेश, और कटनी मध्यप्रदेश में वांछित हैं। जबकि इस पूरे खुलासे को लेकर भी संदेह जताया जा रहा है. सबसे बड़ा संदेह बाघ या बाघों की मौत को लेकर है। वन विभाग की यह कहानी किसी के गले नहीं उतर रही की शिकारियों ने पार्क में किसी भी बाघ का शिकार नहीं किया।
                                         

 

   
    



                                                        बाघ के चार शावक जिन्दा जले


   तराई पश्चिमी वन प्रभाग में 5 जून को बाघ के चार शावक जलकर मर गए। घटना हेमपुर डिपो की है, यह इलाका सेना के अधीन है। इस डिपो में 5 जून को घास के मैदान में आग लग गयी. दुर्भाग्य से इस घास के मैदान में बाघिन ने चार शावको को जन्मा दिया हुआ था। जहाँ इस आग में झुलसकर तीन शावकों की घटनास्थल पर ही मौत हो गयी जबकि एक शावक ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। इस पूरे मामले में सेना ने 6 जून को एक ही शावक के मिलने की बात कही। जबकि तीन शावको को उन्होंने जमीदोज कर दिया। बाद में किसी ब्यक्ति द्वारा मोबाइल फोन से बने विडियो क्लिपिंग को देखकर पता चला की यहाँ तीन और शावक थे जिनकी मौत घटना के समय ही हो गयी थी। सेना ने तब 7 जून को बताया की उनके इस क्षेत्र में तीन और शावको की मौत हुयी है।जिन्हें उनकी सुरक्षा हेतु जमीन में दबा दिया गया है। बाद में इसी दिन फिर इसने जमीन से निकलकर इनका पोस्टमार्टम किया गया। इन शावको की उम्र दस से बीस दिन की बताई जा रही है। जिसके बाद वन महकमे ने कडा रूख अपनाते हुए सेना के तीन नामजद और अन्य के खिलाफ वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की विभिन्न धाराओं में वन अपराध जारी कर दिया है। वहीँ उपरोक्त दोनों मामले राज्य की विधान सभा में भी गूंजे। जिसके बाद शासन ने इस पूरे मामले की जाँच कुमाओं के मुख्य वन संरक्षक को सौंप दी है। जो एक सप्ताह के अंदर अपनी रिपोर्ट शासन को देंगे। वहीँ इन शावको की माँ उनकी तलाश में वहां भटक रही है। वहीँ रामनगर वन प्रभाग में 25 मई को घायल मिले बाघ ने 31 मई 2012 को नैनीताल जू में दम तोड़ दिया है।

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