Thursday, July 5, 2012

कॉर्बेट पार्क की खट्टी मीठी यादें

नमस्कार साथियों आज फिर कुछ खट्टी मीठी यादें लिए मैं हाजिर हूँ,
     सबसे पहले मैं आपको यह बताना चाहता हूँ कि अपने कुछ पत्रकार मित्रों के अनुरोध पर मैंने इस ब्लॉग को  कुछ देरी में अपडेट करने का निर्णय लिया था। जिस कारण कई घटनाएँ इस ब्लॉग में आने से रह गयी. आज मैं उन पुरानी घटनाओ को याद करने की कोशिश करता हुआ एक बार फिर अपने कंप्यूटर के सामने बैठा हूँ। यह घटनाएँ हालाँकि कुछ पुरानी हो गयी हो लेकिन यह कॉर्बेट पार्क के लिए बहुत महत्व की है.....
      सबसे पहले बात भाई संजय छिम्वाल के द्वारा देखी गयी उड़ने वाली गिलहरी से करते हैं। संजय ने कॉर्बेट नेशनल पार्क के पास रामनगर वन प्रभाग के कोसी रेंज में गर्जिया के समीप एक उड़ने वाली गिलहरी देखी। जिसके फोटो भी उन्होंने लिए . इस गिलहरी को देखने के साथ ही उसके फोटो लेने का कॉर्बेट में यह पहला सफल प्रयास है। पार्क वार्डन यूं सी तिवारी के अनुसार यह गिलहरी कॉर्बेट में देखे जाने का पहला मामला है।और यह उत्तर भारत में कम ही दिखाई देती है। है ना रोचक ....
   
      अब बात करते हैं आई यूं सी एन  के द्वारा कॉर्बेट के घडियालों को प्रकृतिक रूप में प्रजनन के लिए मान्यता दिए जाने की .... अब से पहले  आई यूं सी एन  कॉर्बेट के घडियालों को प्राकृतिक स्थान में प्रजनन के लिए मान्यता नहीं देता था। लेकिन यहाँ हुए शोध के बाद न केवल उन्हें मान्यता दी गयी है। बल्कि जानकारी तो यह भी है कि यह संख्या विश्व में तीसरी मानी गयी है। यह जानकारी यहाँ पार्क के निदेशक रंजन कुमार मिश्र ने दी है।


     अब बात करते हैं यहाँ पहली बार बीन गूज नाम का पक्षी भी दिखाई दिया है। यह पक्षी कॉर्बेट फाउन्डेशन की पक्षी गणना के दौरान तुमरिया जलाशय में दिखाई दिया। इस पक्षी को भारत में दिखाई देने के कुल तीन वाकये सामने आये हैं। इसे पहली बार भारत में 1921 में देखा गया था। लेकिन प्रमाणों के अभाव में इसे भारत में पायी जाने वाली चिड़ियों की सूची से बाहर कर दिया गया। उसके बाद यह पंजाब में 2003 में दिखाई दी थी। अन्टार्क्टिका में पायी जाने वाली इस पक्षी प्रजाति को 2007 में असाम में देखा गया था। उसके बाद प्रमाणिक तौर पर इसे दिसम्बर 2011 में कॉर्बेट लेण्डस्केप में देखा गया है। यह पक्षी आमतौर पर प्रवास के दौरान चाइना ,जापान और यूरोप में देखा जाता रहा है। है ना अद्भुत......


   इसके अतिरिक्त आपकी जानकारी के लिए बता दूं की पार्क का ढिकाला जोन 15 जून को और बिजरानी जोन 30 जून को पर्यटकों के लिए बंद कर दिया गया है। हालाँकि पार्क का झिरना जोन सालभर सैलानियों के लिए खुला रहेगा।
      इन सबके साथ ही कॉर्बेट के गौजापानी में एक बूढा व् कमजोर बाघ दिखाई दिया था. जिस पर कॉर्बेट प्रशासन नजर बनाये हुए था। वह अब दिखाई नहीं दे रहा है। वहीँ तराई पश्चिमी वन प्रभाग में एक घायल बाघ के देखे जाने की सूचना थी। जिसे पकड़ने के भी कई उपाय किये गए लेकिन वह भी अब दिखाई नहीं दे रहा है। 


   

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