Wednesday, July 20, 2011

स्पोटेड डियर (चीतल)

कॉर्बेट पार्क अपनी जैव विविधता और अनूठे वन्यजीव संसार के लिए जाना जाता है, यहाँ पाए जाने वाले हिरनों की चार प्रजातियों में सबसे आकर्षक हिरन है स्पोटेड डियर (चीतल), जो सहज ही किसी को भी अपनी ओर आकर्षित कर लेता है. कॉर्बेट लेण्डस्केप में इन्हें आसानी से देखा जा सकता है. इनके झुण्ड आपको पार्क के अंदर और बाहर दिखाई दे जायंगे. शाम होते ही यह बिजरानी केम्पस के पास और धनगढ़ी गेट के आस-पास बड़े-बड़े झुंडों में दिखाई देते हैं. यहाँ हम फिर बता दे की प्रमाणिक जानकारी के लिए आप प्रमाणिक पुस्तकों का अध्ययन जरुर कर ले.

Spotted Deer ( चीतल ) (Axis axis ) को  Spotted Deer  क्यों कहा जाता यह तो इसे देखने के बाद हर कोई समझ सकता है. जैसा की इसके नाम से स्पष्ट है की इसके शरीर पर स्पोट्स यानि धब्बे होते हैं. चीतल हिरनों मैं सबसे सुन्दर हिरन प्रजाति है. कॉर्बेट मैं चीतल सर्वाधिक संख्या मैं पाए जाते हैं तथा बाघों एवं तेंदुए का ये मुख्य आहार हैं. चीतल एक सामाजिक प्रजाति का जीव है तथा ये ८-१० से लेकर सैकड़ों तक के झुंडों मैं पाए जा सकते हैं.  नर चीतल की ऊंचाई लगभग ३ फिट तक होती है तथा इनका वजन लगभग ७५-८० किलोग्राम तक होता है. चीतल की औसत आयु १०-१२ वर्ष होती है. मादा हिरन आकर मैं नर से थोड़ी छोटी होती है. नर के antlers  की लम्बाई २ से २.५ फीट तक होती है व साल मैं एक बार ये नर अपने antlers  को गिरा देते हैं. नर इन antlers  को समागम कल मैं अपना वर्चस्व स्थापित करने के लिए करते हैं. समागम काल मैं नर काफी आक्रामक हो जाते हैं व अपने हरम के लिए काफी चोकन्ने रहते हैं. ये मादा को आकर्षित करने के लिए एक विशेष प्रकार की आवाज जिसे  की rutting  call  कहा जाता है निकालते हैं जो काफी दूर तक सुनाई देती है. मादा की गर्भावधि ७ माह की होती है व सामान्यतया ये एक बच्चे को जन्म देती हैं.


चीतल हिरन मुख्य रूप से मैदानी इलाकों में रहते हैं व ये घास के मैदान के आस पास सर्वाधिक पाए जाते हैं. नदी एवं नालों मैं भी चीतल पाए जाते हैं परन्तु ऊँचे पहाड़ी जंगलों मैं ये काफी कम दिखाई देते हैं. चीतल मुख्य रूप से घास व पत्तियां खाते हैं तथा कोमल पत्तियां एवं फल भी इनका पसंदीदा भोजन हैं. चीतलों को इसके लिए अपने पीछे के पैरों पर खड़े होकर ऊँची डालियों से फल एवं पत्तियां खाते देखना एक आम बात है. नर चीतल अपने antlers  का इस्तेमाल भी कभी कभी पत्तियां एवं फल गिराने के लिए करते हैं. चीतल एवं लंगूरों मैं एक खास रिश्ता होता है व ये ज्यादातर एक साथ देखे जाते हैं. किसी भी खतरे का आभास होने पर दोनों एक दुसरे को सूचित करते हैं व चीतल लंगूरों द्वारा पेड़ों से गिराए हुए फल एवं पत्तियों को बड़े चाव से खाते हैं.



यूँ तो चीतल संख्या मैं काफी हैं जिसको देख कर अभी इस प्रजाति को खतरा नहीं दिखाई देता. परन्तु कभी कभी इनको शिकारी मारते हैं. दूसरी समस्या है इनके लिए दिनोदिन घट रहे प्राकृतिक  आवास. आबादी बढ़ने के साथ साथ हमारे वन भी कम होते जा रहे हैं जिसका सीधा असर वन्य जीवों पर पड़ता है. प्रकृति मैं संतुलन बनाये रखने के लिए हर एक जीव प्रजाति का अपना महत्व है तथा चीतल भी एक महत्वपूर्ण जीव है. ये जहाँ वनस्पतियों पर नियंत्रण रखते हैं वही ये बाघ एवं अन्य मांसाहारी जीवों का एक मुख्य भोजन स्रोत हैं.

                                                                                                लेखक संजय छिम्वाल, वन्य जीव प्रेमी हैं                                                                            

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