आज बहुत भारी मन से यह ब्लॉग लिखने बैठा हूँ. मंगलवार को कॉर्बेट नॅशनल पार्क में फिर एक बाघ का शव मिला है. आज ही मालधन के एक युवक पर तराई वेस्ट के जंगल में बाघ ने हमला कर उसे घायल भी किया है. हरिद्वार में एक हाथी की मौत हुयी है. उत्तरकाशी में तेंदुवे को आदमखोर घोषित करने की मांग की गयी है, इसने रविवार या सोमवार को एक बालिका को अपना शिकार बना लिया था. सूचना मिली है की बुधवार को टेढ़ा के ग्रामीण रामनगर वन प्रभाग में धरना देंगे. यह लोग २२ अप्रैल को कोसी रेंज में हुए २ महिलाओ और एक बालिका में हमला कर घायल करने वाले बाघ को पकड़ने की मांग कर रहे हैं.............
उत्तराखंड में मानव और वन्य जीवो की यह नीयति ही बन गयी लगती है. और सबके बारे में तो मेरी जानकारी ज्यादा नहीं है लेकिन कॉर्बेट और उसके आस-पास के वन क्षेत्रों की बात करते हैं. कॉर्बेट और उसके आस-पास के वन क्षेत्रो में वनराजों की स्थिति ठीक नहीं दिखाई पड़ रही है. यहाँ ना तो मानव बाघ संघर्ष कम होने का नाम ले रहा है, और ना ही बाघों की मौतों का सिलसिला रूक रहा है.
सबसे पहले वनराजों की मौत की बात करें तो यहाँ इस वर्ष आठ बाघ अपनी जान गँवा चुके हैं. जिनमे से सात बार मैंने भी इन बाघों के शव देखे हैं. अपवाद के रूप में खटपानी में मिले बाघ के शव को छोड़ दे तो, इस बारे में मैं अपने पिछले लेख में बहुत कुछ लिख चुका हूँ. मंगलवार को कॉर्बेट पार्क के सर्पदुली रेंज में एक और बाघ का शव मिला है. इस बाघ की मौत करीब एक हफ्ते पहले होना बताया जा रहा है. इसकी उम्र करीब ५-६ साल बताई जा रही है. कोठिढुंगा स्रोत के पास पड़े इस बाघ के अवशेष ही वन विभाग को मिल सके हैं. इन अवशेषों से उसके नर या मादा होने का पता भी नहीं चल पाया. तब आप समझ ही सकते हैं की मौत के कारणों का क्या पता चल पायेगा. करीब चार महीनो में आठ बाघों की मौत से वन्यजीव प्रेमी काफी आहत हैं. बाघों की इन मौतों पर वन विभाग हमेशा ही आपसी संघर्ष या स्वाभाविक मौत कहता रहा है. एक नज़र डालते हैं की कब और कहाँ बाघ की मौत हुयी सबसे पहले कॉर्बेट टायगर रिजर्व- २५ जनवरी, , १९ फरवरी, १ अप्रैल कालागढ़ रेंज, ३ मई सर्पदुली रेंज , रामनगर वन प्रभाग- २७ जनवरी कोसी रेंज, ५ मार्च, २२ अप्रैल कालाढूंगी रेंज, तराई पश्चिमी- ५ फरवरी आम्पोखरा रेंज. बात करें मानव बाघ संघर्ष की तो सुन्दरखाल में १२ मार्च को एक बाघ ने एक ब्यक्ति रमाशंकर को फिर सर्पदुली रेंज में मारा था. उसके बाद ११ मार्च को टेढ़ा में लकड़ी बीनने गयी एक और महिला पर हमला हुआ था जिसे घायल कर दिया था , तब से २२ अप्रैल और ३ मई को फिर हमला हुआ है. २२ अप्रैल को टेढ़ा गाँव की महिलाओं और बच्चों का एक दल जंगल में महुआ बीनने गया था की उनपर बाघ का हमला हो गया. इस घटना में एक महिला को ज्यादा चोट आई जो अभी भी हल्द्वानी अस्पताल में भर्ती है. ३ मई को हुवे हमले में यह ब्यक्ति आमपोखारा रेंज के जंगल में लकड़ी लेने गया था जब इसपर बाघ ने हमला कर इसे घायल कर दिया. इस ब्यक्ति को भी इलाज के लिए हल्द्वानी ले जाया गया है.
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