इन दिनों प्रदेश के वन्यजीवों की दुनिया में बहुत हल-चल है. शुक्रवार को भीमताल में जहाँ खुटानी बेन्ड के पास से सड़क हादसे में एक तेंदुवे की मौत की सूचना है. वहीँ शुक्रवार को ही एक टसकर हाथी की ऋषिकेश के मोतीपुर रेंज के सूखी नदी के रेलवे पुल से खायी में गिरने से मौत की खबर भी है. इस टसकर का नाम टीपू बताया जा रहा है.
दूसरी ओर नानकमत्ता से खबर है क़ि शनिवार को यहाँ वन महकमे ने साम्भर के सींग और सिर के साथ एक वन्य जीव तस्कर को पकड़ा है.
उधर कॉर्बेट नॅशनल पार्क से सबसे बड़ी सूचना है क़ि यहाँ नरभक्षी घोषित बाघिन को पकड़ने के लिए लगाये गए पिंजरे में एक बाघ आ फंसा. घटना शनिवार की है. जब वन कर्मी गश्त पर थे तो उन्हें सुबह करीब ८ बजे पार्क के बफर जोन के सर्पदुली रेंज में यह बाघ पिंजरे में कैद दिखाई दिया. करीब ११ बजे से इसे बेहोश करने की कार्यवाही शुरू हुयी. पिंजरे में फंसे इस बाघ को करीब २ बजे बेहोश किया जा सका. जिसके बाद यह पुष्टि हो पायी क़ि यह बाघिन नहीं बल्कि बाघ है. करीब ६-७ साल का यह बाघ पूरी तरह स्वस्थ बताया जा रहा है. जबकि इसे देखने लोगों का ताँता लग गया. लोगों को देख यह बाघ आक्रामक हो जा रहा था.बाघ का आक्रामक रूख देख कर तो एक बारगी वनकर्मियों के भी पसीने छूट गए.
इस दौरान बाघ ने खुद को पिंजरे में ही घायल जरूर कर लिया.वन विभाग के मुताबिक पिंजरे के पास तक मिले पदचिन्हों से ऐसा लग रहा है क़ि यहाँ यह दो बाघ मौजूद थे, जिनमे एक बाघिन भी थी. बाघ तो पिंजरे में फंस गया जबकि बाघिन वहां से रफूचक्कर हो गयी. इसे बेहोश करने के लिए किये जा रहे ओपरेशन में हुयी देरी से एक बार फिर कॉर्बेट नॅशनल पार्क में रेस्क्यू टीम की कमी खली. जब पिंजरे में फंसे बाघ को काबू में करने में यहाँ महकमे को तीन घंटे का समय लग गया. वन्यजीवों के इलाज के लिए यहाँ कोई चिकित्सक भी मौजद नहीं है. यहाँ के एक मात्र चिकित्सक भी अपनी सेवाए छोड़ के जा चुके हैं. ऐसे में इस हाई प्रोफाइल पार्क में वन्यजीवों के किसी मुश्किल पर फसने में क्या हाल होता होगा आप खुद ही सोच सकते है.
हाल-फ़िलहाल आप यह जानने को जरूर आतुर होंगे क़ि इस बाघ का क्या हुआ. इस बाघ को पार्क प्रशासन ने सुरक्षित जंगल में छोड़ दिया है. इस बाघ को बेहोश करने के लिए चार बार त्रेंकुलिजिंग गन का प्रयोग करना पड़ा. जिसमे से दो बार निशाना ठीक नहीं था. मतलब साफ़ है क़ि इसे बेहोश क्सरने के लिए दो डोज़ डी गयी. पिजरे में लगी इसकी चोटों की बाबत वन महकमा और चिकित्सक इसे ज्यादा गंभीर नहीं मान रहे हैं.
सभी फोटो साभार संजय छिम्वाल
वन्यजीवों की देखभाल के लिए अत्याधुनिक साजो सामान की जरुरत है!
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