Thursday, January 6, 2011

कॉर्बेट बंद का करेंगे विरोध

२०१० ने भी विदा ले ली. २०११ की पहली सुबह जब मैंने अपना ब्लॉग देखा तो उसपर ब्लॉग चर्चा के बारे में लिखा था. तब से मै अपनी ब्यस्तता के चलते ब्लॉग में कुछ नहीं लिख पाया. सबसे पहले तो ललित जी का धन्यवाद् क़ि उन्होंने साल के पहले ही दिन हमें ब्लॉग चर्चा में रखा.
   इनदिनों कॉर्बेट के आस-पास नरभक्षी बाघ के साथ ही प्रदेश में बढ़ रहे वन्यजीव अपराध का बोल बाला है. यह बोलबाला में इस लिए कह रहा हूँ क़ि कल (५-१-११ को) फिर पिथोरागढ़ से सूचना मिली है क़ि वहां फिर वन्यजीव तस्कर वन-विभाग और पुलिस के फंदे में फंसे हैं. बेजुबान-निरीह वन्यजीवों को फंदे में फ़साने वाले इन तस्करों का गिरोह कितना बड़ा है और इसमें प्रदेश के कितने लोग शामिल हैं इसका अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है क़ि यह लोग एक के बाद एक इनदिनों पकड़ में आ रहे हैं. यह भी भला हो तहलका और सी एन एन आई बी एन का क़ि उनके द्वारा किये गए स्टिंग से प्रदेश का वन महकमा कुछ तो हरकत में आया है. अब देखना यह होगा क़ि प्रदेश का महकमा कब तक अपने हाथ पैर मार कर इन्हें पकड़ता है. इन तस्करों को पकड़ना भी इतना आसन काम नहीं होता होगा. जितना मैंने तहलका में पढ़ा या वन आधिकारियों से कभी अनौपचारिक बातचीत में जाना है. उससे लगता तो यही है क़ि यह काफी समय और पैसा खाने वाला काम है. उसमे भी कई बार सफलता हाथ आते आते रह ज़ाती है. खैर अब इतना तो समझ ही सकते हैं क़ि वन्यजीव यहाँ इतने सुरक्षित नहीं हैं, जितना हमें समझाया जा रहा है. जिस प्रदेश में वन्यजीवों के इतने दुश्मन मौजूद हो वहां हम इन्हें सुरक्षित कैसे मान सकते है.
  दूसरे मामले की बात करें तो वह एक दुखदायी पहलू है, यहाँ बाघ ने सुन्दरखाल और चुकुम में डेढ़ माह के भीतर तीन महिलाओं की जान ले ली. अब सुन्दरखाल के ग्रामीण इस बाघ को मारने की मांग कर रहे हैं. इसके लिए ग्रामीणों ने आन्दोलन छेड़ा हुआ है. ग्रामीण इस बाघ को जल्दी से जल्दी नष्ट होते हुए देखना चाहते है. उधर कुछ युवा अब इस बाघ के समर्थन में आये हैं. प्रियंका-राहुल ब्रिगेड के इन युवाओं ने इस बाघ को बचाने की गुहार कॉर्बेट प्रशासन से लगायी है. इन युवाओं ने अपने जिलाध्यक्ष संजय बिष्ट के नेत्रत्व में कॉर्बेट के निदेशक को ज्ञापन देकर इसे बचाने की मांग की है. उनका कहना है क़ि देश और दुनिया कम होते बाघों को लेकर चिंतित है, वहीँ इस तरह से बाघ को मारना उचित नहीं है, क्योंकि बाघ ने हमले अपने वास-स्थल में किये हैं ना क़ि मानव आबादी में इसलिए बाघ को बिना किसी कारण दण्डित करना उचित नहीं है, यदि आवश्यक हो तो इसे कैद कर जू भेज दिया जाए. उधर ग्रामीण लगातार कह रहे हैं क़ि कॉर्बेट प्रशासन बाघ को मारने से बच रहा है. और इसे नष्ट करने के कोई उपाय नहीं कर रहा है.
     वहीँ अब कॉर्बेट में पर्यटन  से जुड़े लोग भी आज लामबंद हो गए हैं. उन्होंने बैठक कर कहा क़ि कॉर्बेट को वह अब राजनीति का अखाडा नहीं बनाने देंगे. वह कॉर्बेट में किसी भी प्रकार के बंद का विरोध करेंगे. उन्होंने कहा क़ि जब-तब सरकार में दबाव बनाने के लिए लोग कॉर्बेट पार्क बंद का ऐलान कर देते हैं. जिससे पर्यटन से जुड़े लोगों की आजीविका प्रभावित हो रही है, और पार्क की छवि को भी धक्का लग रह है. इसलिए वह अब से कॉर्बेट पार्क को बंद नहीं करने देंगे. बैठक में होटल ब्यवसाय से जुड़े लोगो के साथ, जिप्सी चालक, नेचर गाईड, टूर आपरेटर औरकई एन जी ओ के लोग शामिल थे.

1 comment:

  1. बहुत बढ़िया
    कुछ आलेख यहाँ भेजने का कष्ट करे ताकि पर्यावरण के बारे में और चेतना फैलाई जा सके

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