इन दिनों प्रदेश के वन्यजीवों की दुनिया में बहुत उथल पुथल चल रही है. जहाँ एक ओर प्रदेश में मानव-वन्यजीव संघर्ष बढ़ा है, वहीँ इन बेजुबानो के अंगों के तस्कर भी इन्हें मारने का कोई मौका नहीं चूक रहे हैं. जिससे इनके पकडे जाने का सिलसिला भी जारी है. दूसरी ओर मुर्दाखोर के नाम से मशहूर गिद्धों के लिए भी दिन ठीक नहीं चल रहे हैं, क्या हैं पूरी जानकारी आइये जानते हैं......
कॉर्बेट के सर्पदुली रेंज में डेढ़ माह के अंदर दो महिलाओं को अपना शिकार बनाने वाला बाघ आखिरकार नरभक्षी घोषित कर ही दिया गया है. आज रामनगर में प्रदेश के मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक श्रीकांत चंदोला ने बताया की बाघ को नष्ट करने के आदेश जारी कर दिए गए हैं. गुरूवार को सुन्दरखाल के ग्रामीणों ने इस बाघ को आदमखोर घोषित कर गोली मारने की मांग को लेकर कॉर्बेट पार्क के धनगढ़ी गेट में धरना देते हुए पर्यटकों की आवाजाही बंद कर दी थी. जिसे बाद में वन महकमे के आला अधिकारीयों के बाघ को मारने के आदेश के बाद ४८ घंटे के अल्टीमेटम के साथ स्थगित कर दिया. वहीँ अभी तक २९ दिसम्बर को बाघ द्वारा मारी गयी महिला का शव बरामद नहीं हो सका है.
एक ओर बाघ के आतंक से दहशत में ग्रस्त ग्रामीणों ने धरना दिया तो वहीँ दूसरी ओर गाँवो की वन्यजीवों से सुरक्षा की मांग को लेकर सावल्दे और ढेला के ग्रामीणों ने भी कॉर्बेट के स्वागत कक्ष में तालाबंदी कर दी. यह लोग मांगे पूरी न होने पर २०११ में मनाई जाने वाली प्लेटिनम जुबली के विरोध की चेतावनी दे रहे हैं.
इसके अलावा वन्यजीवों के अंगों की तस्करी से धन कमाने के प्रयास में पिथोरागढ़ जिले के दो लोग काशीपुर में धरे गए हैं
यह दोनों लोग दो तेंदुवे की खाल के साथ पकडे गए है. जानकारी के मुताबिक वन विभाग और पुलिस के संयुक्त दल ने इन दोनों को मुखबिर की सूचना पर स्टेडियम चौक से पकड़ा है. बताया जा रहा है की यह दोनों इन खालो को बेचने के लिए दिल्ली जा रहे थे. वन महकमा इनसे मिली जानकारी के आधार पर अब अन्य तस्करों की तलाश में जुट गया है.
वहीँ गिद्धों की दुनिया से भी खबर अच्छी नहीं है. कुछ दिन पहले रिन्गोड़ा में मृत मिले गिद्ध की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उसके शरीर में बहुतायत प्रतिबंधित डायक्लोफिनेक मिला है. इस गिद्ध को हरियाणा के पिंजौर में परिक्षण के लिए सोसाईटी ऑफ़ महाशीर कांजर्वेसी ने भेजा था. ३० दिसम्बर को इस संस्था को फिर एक घायल गिद्ध हातीदागर में बरामद हुआ है. जिसे उपचार के लिए रामनगर के पशु चिकित्सालय लाया गया. उसके भी डायक्लोफिनेक दवा के असर से इनकार नहीं किया जा सकता. जिसके लिए अब फिर से जागरूकता अभियानों की आवश्यकता महसूस की जा रही है.
अफ़सोसजनक समाचार है,
बाघ आदमखोर क्यों हुआ?इस पर विचार होना चाहिए।
गिद्धों की सर्वाधिक मौत कीटनाशकों के इस्तेमाल से हो रही है।
जो पशुओं के मांस में पाया जाता है।
नव वर्ष 2011 की हार्दिक शुभकामनाएं
चुड़ैल से सामना-भुतहा रेस्ट हाउस और सन् 2010 की विदाई
नूतन वर्ष 2011 की शुभकामनाएं
आपकी पोस्ट 1/1/11-1/11 की प्रथम वार्ता में शामिल है।