Tuesday, December 28, 2010

वन्यजीव अंगों की तस्करी

१७ दिसम्बर  को सी एन एन, आइ बी एन में तहलका द्वारा किया गया एक स्टिंग ओपरेशन दिखाया गया. जिसमे दिखाया गया क़ि किस तरह से वन्यजीवों के तस्कर कॉर्बेट के आस-पास सक्रिय हैं. जो बाघों के साथ ही तेंदुओं को मारकर उनके अंगों की तस्करी कर रहे हैं. इस खबर के टेलीकास्ट होने के बाद उत्तराखंड के वन महकमे में हडकंप मच गया.
 इस पूरे मामले में एक बात जो उभर के आई क़ि सीमान्त क्षेत्र धारचूला से इन्हें नेपाल के रास्ते चीन तक भेजा जाता है. यह कोई नयी बात नहीं है क्योंकि कुछ महीने पहले ही यहाँ एस एस बी ने हाथी दांत पकडे थे. और वह समाचार इस ब्लॉग में भी था.जिसमे यहाँ हाथी दांत पकडे जाने पर चिंता जताई थी. इस पूरे मामले में वन विभाग की छटपटाहट ही सामने आई. हालाँकि वन विभाग ने अब धारचूला से एक वन्यजीव तस्कर को तेंद्वों की खाल के साथ पकड़ लिया है. गुलाब सिंह नामक यह तस्कर कैलाश बताया जा रहा है. वही प्रकरण में कालाढूंगी का नाम आने से भी रामनगर वन प्रभाग के आधिकारियों में हडकंप मचा रहा. डी एफ ओ रविन्द्र जुयाल का कहना है की वह इस पूरे मामले की जांच करा रहे हैं. और उसके बाद ही वह कुछ कह पायेंगे.
      कॉर्बेट के आस-पास वन्य जीवो की तस्करी का मामला अपने आप में चिंता जनक है. इसके साथ ही तराई पश्चिमी वन प्रभाग ने भी आज तीन तस्करों को दबोचा है. इसमें से एक तस्कर जो किन्नर है वह पहले भी इसी वन प्रभाग द्वारा हाथी दांत की तस्करी में पकड़ा जा चुका है. आज इनके पास से ११ नाग साम्भर के सींग व एक हाथी के जबड़े का टुकड़ा भी पकड़ा गया है.
    इसके अलावा रामनगर वन प्रभाग के रिन्गौडा के पास एक गिद्ध बीमार हालात में मिला, जिसने बाद में दम तोड़ दिया है. इस गिद्ध को अब महाशीर कॉन्सरवेसी संस्था  हरियाणा के पिंजौर के गिद्ध प्रजनन केंद्र में ले जा रही है. जिससे क़ि इसकी मौत से पर्दा उठ सके.
                                                                                     लेखक विनोद पपने वरिष्ठ पत्रकार हैं. 
       
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