कॉर्बेट को चिंघाड़ों और दहाड़ों की भूमि कहा जाता है. यह भूमि बाघों, हाथियों और पक्षियों के लिए जानी जातीं है. यह बात ठीक भी है, क्योंकि यहाँ दुनिया के बाघों का सबसे ज्यादा घनत्व है. एशियाई हाथी (१:३) का सबसे अच्छा नर-मादा अनुपात है. और पक्षियों की करीब ६२५ प्रजातियों की विविधता भी यहीं पायी जाती है.
शायद बहुत कम लोग जानते है क़ि जैवविविधता के लिए समृद्ध कॉर्बेट नॅशनल पार्क में कीट पतंगों की भी अपनी एक निराली दुनिया है. वैसे तो इन्हें यहाँ वर्षभर देखा जा सकता है लेकिन इन कीट पतंगों की इस दुनिया के रंग अक्सर मानसून के दौरान ज्यादा देखने को मिलते हैं.इस दौरान इन कीट-पतंगों के प्रेमी सैलानी इन्हें देखकर रोमांचित होते हैं. यह तो वन्यजीव प्रेमियों के लिए स्वर्ग के सामान ही होता है. लोग आमतौर पर वन्यजीवों को देखने कॉर्बेट का रूख करते हैं. इनमे से अधिकांश सैलानी बाघ, हाथी, तेंदुवे और सर्प जैसे बड़े जीवों को ही वन्यजीवन समझते हैं. वन्यजीवन का मतलब है वह सब कुछ जो इस गृह में है जिसमे जीवन है एक चींटी और मच्छर से लेकर पेड़ और व्हेल तक उसमे तितलियाँ और कीट पतंगे भी शामिल हैं.
हालाँकि कॉर्बेट में कभी सरकारी तौर पर तितलियों में कोई अध्ययन नहीं किया गया है. इसलिए तितलियों की सही संख्या घोषित नहीं की जा सकती. लेकिन फिर भी तितलियों की करीब १०० से अधिक प्रजातियाँ यहाँ पायी जाती हैं. कॉमन टाईगर, कॉमन नवाब, बैरोनेट, कॉमन मैप, डार्क ब्लू टाईगर, कॉमन सेलर, कॉमन लेपोर्ड, कॉमन जैम, कॉमन जैजबेल, कमांडर डार्ट, कॉमन इमिग्रंट, कुछ आम प्रजातियाँ हैं जिन्हें क़ि कॉर्बेट में देखा जा सकता है. झिरना, बिजरानी, ढिकाला और लोहाचौड़ जैसे क्षेत्र जो पार्क के अन्दर हैं तितलियाँ देखने के लिए अच्छे माने जाते हैं. लेकिन पार्क में पैदल भ्रमण की अनुमति नहीं है. इसलिए आपको इन्हें अपने वाहन से ही निहारना होगा. लेकिन आमडंडा व धनगढ़ी के बीच मुख्य राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या १२१ व टेढ़ा गाँव और सीताबानी में इन्हें आसानी से देखा जा सकता है.
सूक्ष्म जीव हमेशा शोधकर्ताओं और गंभीर वन्यजीव प्रेमियों द्वारा ही देखे जाते रहे हैं. व अन्य लोगों द्वारा हमारे गृह के इन खूबसूरत प्राणियों को उपेक्षित किया जाता है. मानव कई मायनों में प्रकृति द्वारा प्रेरित हैं. इस प्रकृति से हमने बहुत कुछ सीखा है. जिन्हें हम आविष्कार कहते हैं. तितलियाँ हमारे गृह पर सबसे रंगीन प्राणियों में से एक है. और वे हमेशा से गीतकारों और कलाकारों को आकर्षित करती आई हैं.
तितलियों के आर्डर Lepidoptera जिसमे moths और तितलियाँ भी शामिल है और करीब १५०००० प्रजातियों के साथ कीटों में दूसरा सबसे बड़ा आर्डर है. दुनिया में तितलियों की करीब १७८२० प्रजातियाँ हैं. और भारतीय उपमहाद्वीप में तितलियों की करीब १५०० प्रजातियाँ दर्ज हैं.
तितलियों का अध्ययन एक आसन काम नहीं है. लेकिन शौकिया प्रकृति प्रेमी भी इनका आसानी से अध्ययन कर सकते हैं. बस जरूरत है तो कुछ बुनियादी बाते जैसे एक फ़ील्ड गाईड, कागज़ का पैड और लेंस आदि की. साथ ही जरूरत होती है धैर्य बनाये रखने की. अध्ययन करने के लिए प्रजातियों की पहचान और उनके ब्यवहार का पालन करने की है. ध्यान देने योग्य मुख्य बातें उनके ब्यवहार, आदत, सीमा, सम्भोग के ब्यवहार और उनके जीवन आदि कुछ चीजे हैं जो बहुत काम की हो सकती हैं.
एक तितली के जीवन चक्र में चार चरण हैं. अंडा,लार्वा,कोकून (कोषस्थ कीट )और प्रौढ़ अवस्था.एक अंडे से एक व्यस्क के लिए परिवर्तन को पूरा कायापलट कहा जा सकता है. एक तितली का औसत जीवन १५-२० दिन का होता है. लेकिन कुछ प्रजातियाँ ६ महीने तक जीवित रहती हैं.
आमतौर पर लोग तितलियों व मौथ (पतंगों) में भ्रमित हो जाते हैं. लेकिन दोनों को निम्न विशेषताओं के साथ विभेदित किय जा सकता है. तितलियाँ आमतौर पर दिन के समय उडती हैं, जबकि पतंगे रात के समय उड़ते हैं. तितलियों के एंटीना में बाल नहीं होते जबकि पतंगों में बाल पाए जाते हैं. तितलियों का अध्ययन फोटोग्राफ लेकर भी किया जा सकता है. तितलियों की फोटोग्राफी करना बहुत मुश्किल काम है. वे अपनी कम्पाउन्ड आँखों से आपको आसानी से देख लेती हैं, और उड़ जाती हैं. इनकी फोटोग्राफी के लिए बहुत धैर्य की आवश्यकता होती है. और सुबह के समय इनके अच्छे शॉट मिल सकते हैं. तितलियों के लिए नाला, फूल के पौधे या बागीचा उपयुक्त स्थल है.
इन कीटों का संरक्षण पारिस्थितिकी की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है. एक ओर वे पक्षियों के खाद्य श्नख्र्ला के महत्वपूर्ण घटक हैं वहीँ दूसरी ओर वे कई पौधों के परागण में मदद भी करते हैं. यह मधुमक्खी के बाद सबसे ज्यादा पराग करने वाले कीट हैं.
उनके निवास के आस-पास विभिन्न विकास कार्य इन तितलियों के लिए खतरा हैं. इन विकास कार्यों की गतिविधियों, कृषि में हो रहे कीटनाशकों के अंधाधुन्द प्रयोग,शहरीकरण, चराई, वानिकी गतिविधियों से आज यह संकट में हैं. ग्लोबल वार्मिंग की वजह से बढ़ रहे तापमान से भी इन्हें खतरा है. यदि तापमान १-२ डिग्री बढ़ गया तो इनकी कई प्रजातियाँ विलुप्त हो सकती हैं. इनके संरक्षण के लिए लोगों में जागरूकता फ़ैलाने की आवश्यकता है. अन्य जीवों की तरह इन्हें भी जीने का पूरा अधिकार है.
लेखक संजय छिम्वाल कॉर्बेट के इर्द-गिर्द तितलियों के अध्ययन में लगे हुए हैं.
सारी तितलियाँ कितनी सुंदर.....
ReplyDeleteIt is good to watch them
ReplyDeleteVery informative & nice collections
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