Sunday, October 24, 2010

पक्षी संसार: आइबिसबिल

कॉर्बेट नॅशनल पार्क अपनी जैवविविधता के लिए विश्विख्यात है. यह ना केवल बाघ और हाथी के लिए बल्कि पक्षियों के अदभुत  संसार के लिए भी जाना जाता है. यहाँ करीब ६०० पक्षियों की प्रजातियाँ पायी जाती हैं. इनमे से कुछ प्रजातियाँ यहाँ प्रवास पर आती हैं. जिन्हें हम प्रवासी पक्षियों के नाम से भी जानते है. इन्ही प्रवासी पक्षियों में एक है आइबिसबिल "ibisbill" (Ibidorhyncha struthersii), जो सर्दियों में यहाँ आने वाला एक खूबसूरत मेहमान परिंदा है.
        
        कॉर्बेट के आस-पास यह कोसी नदी के किनारे हर वर्ष सर्दियों में दिखाई देता है. यह पक्षी यहाँ उच्च हिमालयी क्षेत्र से यहाँ आता है. यह बगुला प्रजाति का पक्षी है. और अपनी विशिष्ठ विशेषताओं के कारण आसानी से पहचाना जाता है. व्यस्क पक्षियों को आसानी से पेट के सफ़ेद भाग, लम्बे लाल पैर, मुड़ी हुयी चोंच और सीने पर काले बैंड के साथ पहचाना जा सकता है.
        आइबिसबिल पियु-पियु की तरह की एक ठेठ ध्वनी बनाते हैं. हालाँकि यह पक्षी माध्यम आकार का है लेकिन फिर भी यह आसानी से नजर नहीं आता. यह अपने स्वरुप के कारण बहुत अच्छी तरह से पथरीले नदी तल के साथ विलय कर जाते हैं. आइबिसबिल नदी के किनारों के आस-पास पायी ज़ाती है.और वे उच्च हिमालयी व तिब्बत के पठार में वितरित है.यह परिंदा कज़ाकिस्तान, चीन व भारत में पाया जाता है. सर्दियों में इन पक्षियों का निचले स्थानों की ओर पलायन हो जाता है.

         आइबिसबिल नदियों के आस-पास चट्टानों के पत्थरों के नीचे पाए जाने वाले कीड़े और अन्य छोटे जीवो को खाती है. आमतौर पर यह एक जगह कम संख्या में मिलती है. एक जगह में २-३, ३-४ या कभी कभी इससे कुछ अधिक संख्या में इन्हें एकसाथ देखा गया है.
     आइबिसबिल हमेशा पक्षियों प्रेमियों की सर्वोच्च प्राथमिकता में रहा है. और वह विशेष रूप से लम्बी यात्रा करके इस दुर्लभ पक्षी को देखने यहाँ पहुंचते हैं. सर्दियों में इस चिड़िया के कोसी नदी किनारे डेरा डालते ही, पक्षी प्रेमी भी इसकी खोज में यहाँ डेरा डाल देते हैं. पक्षी प्रेमी इसकी एक झलक पाने को बेताब रहते हैं. जो सैलानी नियमित रूप से कॉर्बेट आते हैं, वह स्थानीय गाईडों के साथ संपर्क कर इसके आगमन की जानकारी लेते रहते हैं.
        स्थानीय पक्षी प्रेमी हमेशा सर्दियों के मौसम के दौरान उनके आने के स्थलों में नज़र बनाये रखते हैं. वह उनके आगमन की जानकारी से एक-दूसरे को बताते रहते हैं. यह पक्षी सामान्य रूप से एक ही स्थान पर आते हैं. और इस साईट को आइबिसबिल डेरा के रूप में जाना जाता है. कॉर्बेट में यह कोसी बैराज, रिन्गोडा और सुन्दरखाल गाँव के निकट प्रसिद्द गार्जिया मंदिर के पास कोसी नदी तट पर देखे जाते रहे हैं. हालाँकि सूचना के अनुसार पिछले साल इनको ढिकाला में रामगंगा नदी पर भी देखा गया था.
        शर्मीले स्वाभाव का यह पक्षी छिपकर ही रहता है. अशांति इन्हें बिलकुल भी पसंद नहीं है. सुबह के समय इन्हें अच्छी तरह देखा जा सकता है. क्योंकि इसके बाद इनके इन आशियानों में अशांति बढ़ ज़ाती है. पक्षी जो एक अजीब आवाज़ जोर से बनाता है वह इन्हें ढूँढने का एक अच्छा संकेत है. उनकी मजबूत घुमावदार चोंच से उन्हें पथरीले नदी तल से उनके भोजन की जांच में मदद देती है. उनके आशियाने में बढती मानव दखलंदाजी से उपजे शोर की वजह से यह अब अति दुर्लभ हो चली है.
    लेखक संजय छिम्वाल प्रकृति प्रेमी हैं. पक्षियों और वन्यजीवो के विषय में अच्छी पकड़ रखते हैं. लेखक का पता निम्न है....
Sanjay Chhimwal,
Vill. & P.O. Dhikuli,
Ramnagar 244715
UK - India

1 comment:

  1. आपके ब्लाग पर आने के बाद मुझे ढेर सारी जानकारियाँ मिल जाती है। आना सार्थक हो जाता है।
    आभार

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