Friday, September 24, 2010

बाढ़ से वन सम्पदा को भी भारी नुकसान

इस वर्ष की बरसात से उत्तराखंड दहल ही उठा है. इस बाढ़ ने जहाँ जन-जीवन को तबाह कर दिया, वहीँ इससे वन और वन्यजीव भी इससे बुरी तरह प्रभावित हुए हैं. नदियों की कल कल करती ध्वनि हमेशा से कर्णप्रिय रही है. लेकिन नदियों में अत्यधिक पानी आने से यह कितनी विकराल हो जाती हैं, इसका अंदाजा इस बार इन नदियों में आये जल के वेग को देखकर लगा.
कोसी नदी के बीच बाढ़ से घिरा गर्जिया मंदिर

जगह-जगह धराशायी वृक्ष


कोसी नदी में बहता साम्भर

कॉर्बेट पार्क के बिजरानी जोन के रस्ते हुए जलमग्न
       उत्तराखंड में भारी वर्षा और बाढ़ ने ना सिर्फ लोगों का जन जीवन अस्त-ब्यस्त किया बल्कि इससे जन और धन की भी बड़ी मात्रा में हानि हुयी है. इस बाढ़ से जन-धन के अलावा वन और वन्यजीवों को भी काफी नुकसान पहुंचा है.  यह एक ऐसा नुकसान है जिसकी भरपाई कर पाना बहुत मुश्किल होगा. कोसी और रामगंगा ने अपनी जद आये हर वस्तु को अपने वेग से धराशायी कर दिया. चाहे इसकी जद में आये कोई विशालकाय वृक्ष हो चाहे वन्यजीव जो भी इसकी जद में आया सम्हल नहीं पाया. इस आपदा से प्रदेश के वन सम्पदा को कितना नुकसान पहुंचा, इस पर सूबे के प्रमुख वन संरक्षक डॉ आर बी एस रावत का कहना है, क़ि निश्चित रूप से इस आपदा से वन सम्पदा को बहुत नुकसान हुआ है, जिसका आंकलन किया जा रहा है. जिसे आने में कुछ समय लगेगा. इस बाढ़ में सैकड़ों पेड़ों को कई लोगों ने अपनी आँखों से धराशायी होते देखा.कई वन्यजीवों को इस बाढ़ में लोगों ने बहते हुए देखा. इस बाढ़ की विभीषिका में कई दुर्लभ वन्यजीव भी धराशायी हुए हैं. इस आपदा के चलते इस साल कॉर्बेट  और राजाजी राष्ट्रीय उद्यान के भी समय पर खुलने की उम्मीदों को धक्का लगा है. इसके चलते पर्यटकों के लिए यह देर से खुल सकते हैं. जिससे वन्यजीव प्रेमियों को निराशा हो सकती है साथ ही इस ब्यवसाय से जुड़े लोगों को भी बेरोजगारी का दंश कुछ  समय तक उठाना पड़ सकता है.

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