केंद्रीय वन राज्य मंत्री जयराम रमेश इसे वन्यजीवों के हित में बताते हैं. उनकी यदि माने तो इससे सैलानियों की संख्या कुछ कम होगी जो की वन्यजीवों के लिए अच्छा है. कम लोगों के पार्क में जाने से वन्यजीवों की दुनिया में मानव का खलल कम पड़ेगा, जो इनके हित में है. वहीँ इसके विरोधियों की संख्या भी कम नहीं है. प्रमुख आन्दोलनकारी व वरिष्ठ पत्रकार प्रभात ध्यानी इसे गरीबों के विरुद्ध एक षडयन्त्र के रूप में देखते हैं. उनका कहना है क़ि अब गरीब वन्यजीव प्रेमी की पहुँच से पार्क और वन्यजीव काफी दूर हो गए हैं. यह सत्ता द्वारा वन्यजीवों को समझने में लगे गरीबों के हको को छीनने का प्रयास है. वहीँ बाघ बचाओ संघर्ष समिति के लोगों का भी इस बारे में मतेक्य है. समिति के मदन जोशी इसे वन्यजीवों के हक़ में मानते हैं. लेकिन समिति के ही नरेन्द्र शर्मा का कहना है क़ि यदि स्थानीय लोगों की पहुँच से ही पार्क दूर हो गया तो इनके संरक्षण में आगे कौन आएगा. क्योंकि जब आप स्थानीय लोगों को ही पार्क दिखा कर उसकी महत्ता समझाने में असफल हैं तो उनकी संरक्षण में भागीदारी की बात सोचना भी बेमानी है. और बिना स्थानीय भागीदारी के वन्यजीव संरक्षण हो ही नहीं सकता. अब इस बारे में आप ही बेहतर बता सकते हैं क़ि इसके दाम बढ़ाना क्या उचित है. हाँ इसमे मै यह भी जोड़ना चाहूँगा क़ि पर्यटन से यहाँ कई लोगों क़ि रोजी रोटी भी चल रही है. जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से संरक्षण को बढ़ावा दे रहे हैं, और पार्क के प्रति चिंतित भी रहते हैं.
केन्द्रीय वन राज्य मंत्री जयराम रमेश रामनगर में मीडिया से मुखातिब कॉर्बेट पार्क के ढिकाला जोन में शराब का सेवन करते बिगडैल सैलानी
कॉर्बेट पार्क यूँ तो वन्य जीव पर्यटन के लिए जाना जाता है. पार्क को सैलानियों के लिए खोलने का मकसद भी लोगों को इनके प्रति जागरूक करना ही है. लेकिन कॉर्बेट में इन दिनों जो पर्यटन देखने में आ रहा है वह वन्यजीवों की दुनिया से परे ही लगता है. यहाँ इन दिनों वीक एंड मनाने का प्रचलन बढ़ा है. यहाँ लोग वन्य जीवो को निहारने और उनके बारे में जानने के लिए कम और पिकनिक मनाने के लिए ज्यादा आ रहे हैं. देखने में आ रहा क़ि यह स्थल बिगडैल पर्यटकों की ऐशगाह में ज्यादा बदलता जा रहा है. यहाँ वन्यजीवों की बात करने वाले रिजोर्ट भी पार्टी स्थल और वैवाहिक स्थल के लिए कुछ अधिक ही लोकप्रिय हो रहे हैं. जिससे ना केवल पार्क प्रशासन चिंतित नज़र आता है, बल्कि वन्यजीव प्रेमी भी काफी आहत हैं. बढ़ते रिजोर्ट्स ने जहाँ एक ओर इनके कोरिडोर बाधित किये हैं. वही इनकी तेज़ रोशनी और शोर-शराबे ने वन्यजीवों की शांत दुनिया में खलल ही डाला है. आशा है इस पर्यटन दिवस पर यह रिजोर्ट्स संचालक अपने मुनाफे के साथ ही वन्यजीवों के बारे में भी सोचेंगे. जिससे क़ि इनकी शांत दुनिया में कम से कम खलल पड़े.
ज्ञानवर्धक जानकारी दी है आपने ........ आभार
ReplyDeleteपढ़िए और मुस्कुराइए :-
आप ही बताये कैसे पर की जाये नदी ?