कोसी नदी पूरे उफान पर
सुन्दरखाल में जलमग्न घर
रिसोर्ट को हुआ नुकसान
इस बार कोसी १९९३ के बाद इतने प्रचंड वेग में आई क़ि तब के सारे रिकॉर्ड को उसने पीछे छोड़ दिया. १९९३ में कोसी में १ लाख ५९ हजार क्यूसेक पानी आया था. जो इस बार बढकर १ लाख ६४ हजार पर जा पहुंचा. इसने अल्मोरा जिले के कई क्षेत्रों के साथ ही रामनगर में कहर बरपा दिया. साथ ही इसके चलते य़ू पी के रामपुर को भी जलमग्न कर दिया. कोसी नदी के कहर का आलम यह है की इसका पानी भले ही अभी कम हो गया हो लेकिन इसका बहाव अभी भी बहुत है. जिसके कारण चुकुम गाँव में अभी तक कोई भी मदद नहीं पहुँच पा रही है. कोसी के किनारे बसे इस गाँव के ग्रामीण जंगल में शरण लिए हुए हैं. करीब ९२ परिवारों के ४०० ग्रामीण जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं. लेकिन शासन और प्रशासन पंगु बना उन तक कोई राहत सामाग्री नहीं पहुंचा पा रहा है. इसका कारण है क़ि इस गाँव को जोड़ने वाला एकमात्र रास्ता कोसी नदी से होकर जाता है. जिस पर ग्रामीणों की लाख गुहार के बाद भी कभी कोई सेतु नहीं बनाया गया. कोसी ने सुंदरखाल में भी जमकर तबाही मचाई. यहाँ ५ मकान इसके वेग में बह गए, और १० मकान जलमग्न हो गए. लोगों ने एक स्कूल में शरण ली है. कुनखेत में चार घर कोसी का कहर बर्दास्त नहीं कर पाए. क्षेत्र को जोड़ने वाला एकमात्र पुल के साथ ही एक सरकारी हाई स्कूल को भी भारी क्षति पहुंची है.कुछ रिजोर्ट्स को भी इसके वेग ने धराशयी कर दिया. कोसी नदी किनारे बने इन रेजोर्ट्स को पानी की सुन्दरता का अहसास तो था लेकिन इसके क्रोध का सामना इन्हें १९९३ के बाद एक बार फिर करना पड़ा. संतोष की बात बस यह है क़ि इन रिजोर्ट्स में कोई जनहानि नहीं हुयी. अलबत्ता इन्हें नुक्सान काफी झेलना पड़ा.......... जारी..................
काश हम इस जल को रोकने का इंतजाम कर पाते. अच्छा लेख .
ReplyDeleteआपके ब्लॉग की स्वागत चर्चा यहां की गयी है
ReplyDelete