उत्तराखंड त्रासदी १
बिष्णुनाथ तिवारी (मंदाकिनी होटल मालिक गौरीकुंड) जी ने आँखों देखा हाल इस प्रकार से बयां किया..
यहाँ 100 होटल थे अब महज 4 - 5 ही बचे हैं , गौरी मंदिर , गरम पानी कुण्ड ,
काली कमली , बस अड्डा गौरी कुण्ड , सोनप्रयाग का तो अब निशान तक नहीं बचा
है हजार से ज्यादा गाड़ियां हमारे सामने बही हैं , पानी जैंसे जैंसे बढ़ने
लगा तो लोग पांच मंजिले भारत सेवाश्रम के भवन में जान बचाने के लिए घुस गए
लेकिन दस मिनट में पूरी बिल्डिंग लापता हो गयी जिसमे करीब पांच हजार लोग
लापता हो गये । लाशें इधर उधर फैली हुई है भयानक दुर्गन्ध आ रही है कोई
सरकारी मदद नहीं में अपने स्टाफ को लेकर कल पैदल ही गुप्तकाशी के लिए चला
रस्ते में किसी से 1 किलो चावल का ईंतजाम किया ताकि भूख मिट सके लेकिन
मुडकटिया के पास कुच्छ यात्रियों ने मुझसे वह चावल छीन लिया उन्होंने 15
मिनट में ही जानवरों की तरह कच्चा चावल साफ़ कर दिया । बच्चे दूध की जगह
पानी पी रहे हैं । बुरा हाल है ऊपर उड़ाते जहाजों को लोग चिल्ला चिल्ला का
रोकने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन वह सीधे केदार नाथ जा रहे हैं बचा लीजिये
साहब सब ख़तम हो जायेंगे .... यह कहना है गौरीकुंड से लौटे विश्नुनाथ
तिवारी का जिनका गौरीकुंड में मन्दाकिनी होटल था वह भी बह गया है जो आज चार
दिन बाद जैंसे तैंसे गुप्तकाशी पहुच गए हैं यह अपने साथ 25 अन्य यात्रियों
को भी ला रहे थे लेकिन 5 यात्रियों ने मुण्ड कटिया में ही हिम्मत हार ली
और वह वहीं अचेत पड़े हुवे हैं -
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