कॉर्बेट नॅशनल पार्क अपने ७५ वर्ष पूरे कर लिए हैं.. २०११ में इसका प्लेटिनम जुबली वर्ष मनाया गया. जिसका समापन १५ नवम्बर २०११ को किया गया. आठ अगस्त १९३६ में अस्तित्व में आया यह ऐशिया का पहला व् दुनिया का तीसरा नेशनल पार्क है. ५२०.८ वर्ग किलोमीटर में फैला यह पार्क कभी टिहरी की राजा की सम्पत्ति बताई जाती है. कहा जाता है जिसे सन १८२० में उन्होंने अंग्रेजों को दे दिया. बाद में सन १९३४ में सर मेल्कम हैली व् जिम कॉर्बेट के प्रयास से इसे १९३६ में ३२३.७५ वर्ग किलोमीटर में हैली नेशनल पार्क के रूप स्थापित किया गया. बाद में इसका नाम रामगंगा नॅशनल पार्क कर दिया गया. जिसका नाम १९५६ में बदल कर कॉर्बेट नेशनल पार्क कर दिया गया.
१ अप्रैल १९७३ को जब देश में बाघ बचने के लिए प्रोजेक्ट टायगर की शुरुआत की गयी तो इसे भी प्रथम चरण के लिए चुना गया. जिसे १२८८ .३१ वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में टायगर रिजर्व का संरक्षित क्षेत्र बना दिया गया. जो कॉर्बेट टायगर रिजर्व के रूप में जाना जाता है. बताया जाता है कि यहाँ घास चरने वाले ३० स्तनधारी, प्रवासी पक्षियों को मिलाकर ५८५ प्रजातियाँ पक्षियों की, सरीसृपों की ३३ प्रजातियाँ, २० प्रजातियाँ उभयचरों की साथ ही मछलियों की ७ प्रजातियाँ यहाँ पायी जाती हैं. जो यहाँ की जैव विविधता के धनी होने का सबूत है, जिससे यहाँ बाघ और तेंदुवे जैसे बिल्ली प्रजाति के जानवर फल फूल रहे हैं. इसके साथ ही यहाँ अब पर्यटकों के लिए दिवसीय भ्रमण को ऑनलाइन कर दिया गया है. जिसे आप www.corbettnationalpark.in पर जाकर अपनी बुकिंग करा सकते हैं.
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