Wednesday, November 2, 2011

काकड़ (बार्किंग डियर)

आज हम बात करते हैं कॉर्बेट में पाए जाने वाले चौथे हिरन की प्रजाति के बारे में जिसे हम काकड़ के नाम से जानते हैं. मैं आपको फिर कहना चाहूँगा कि यह सारी जानकारी वन्यजीव प्रेमियों और वन विभाग के अधिकारीयों व वनकर्मियों के साथ ही वन्यजीवो के साथ काम कर चुके कुछ चिकित्सको के अनुभव पर आधारित है. अतः आप यहाँ लिखी जानकारी के लिए प्रमाणिक पुस्तकों का अध्ययन जरूर कर लें.
         बार्किंग डियर (Muntiacus muntjac) जिसे की हिंदी मैं काकड़ कहा जाता है कॉर्बेट मैं पाए जाने  वाली चार हिरनों की प्रजातियों मैं सबसे छोटी प्रजाति है. बार्किंग डियर को यह नाम इसकी आवाज के कारण मिला. ये काफी शर्मीले स्वाभाव के होते हैं तथा जरा सा भी खतरा होने पर डर कर भाग जाते हैं. एक सुरक्षित जगह पर पहुचने के उपरांत ये जोर से अलार्म कॉल देते हैं. ये आवाज कुत्ते के भौकने की आवाज की तरह सुनाई देती है व इसी वजह से इसे बार्किंग डियर कहा जाता है. वैसे तो ये थोड़ी से खतरे मैं अलार्म कॉल करते हैं व इनकी खतरे की सूचना पर ज्यादा भरोसा नहीं किया जा सकता परन्तु यदि यह लगातार लम्बे समय तक कॉल करता रहे तो बाघ या तेंदुआ आस पास हो सकता है.


बार्किंग डियर यूं तो एकाकी प्राणी है तथा कभी कभार ही आप इन्हें २ या ३ की संख्या मैं देखेंगे. ये अधिकतर घने जंगलों में ही रहते है व बहुत कम ही चारे के लिए खुले मैदानों मैं विचरण करते हैं. इनका मुख्य भोजन घास एवं गिरे हुए फल एवं पत्तियां होती हैं. ये काफी छोटे आकर के होते हैं तथा इनकी उचाई २ फीट से ऊपर तक हो सकती है . बताया जाता है कि इनकी औसत आयु २०-२२ वर्ष होती है.  मन जाता है कि मादा की गर्भावधि ६ से ७ माह होती है व एक बार मैं एक ही बच्चे को जन्म देती है.
 लेखक संजय छिम्वाल वन्यजीव प्रेमी हैं, जो वन्यजीव व पर्यावरण संरक्षण के काम में लगे हुए हैं, संपर्क का पता निम्नवत है.................



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Sanjay Chhimwal,
Vill. & P.O. Dhikuli,
Ramnagar 244715
UK - India

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