Monday, November 15, 2010

आदमखोर ?

कॉर्बेट नेशनल पार्क का ढिकाला जोन १५ नवम्बर को अपने निर्धारित समय पर आज खुलना था. जिसे आज उत्तराखंड क्रांति दल ने एक दिन के लिए बंद करा दिया. उत्तराखंड क्रांति दल (य़ू के डी) कुमाऊ को गढ़वाल से जोड़ने वाले कंडी मार्ग को लेकर आंदोलित है. यह मार्ग रामनगर को कोटद्वार से जोड़ता है. जिसका ४२ किमी भाग कॉर्बेट नॅशनल पार्क के कालागढ़ से होकर गुजरता है. बताया जा रहा है क़ि इसके डामरीकरण के सशर्त अनुमति राज्य के माननीय उच्च न्यायलय ने दी है. य़ू के डी की मांग है क़ि राज्य सरकार इस काम को तत्काल शुरू करे जिससे क़ि कुमाऊ के नागरिको को राज्य की राजधानी जाने के लिए य़ूपी से ना गुजरना पड़े.साथ ही इससे कुमाऊ से देहरादून की दूरी ८० किमी कम हो जाएगी.हालाँकि बंद के बावजूद कॉर्बेट प्रशासन ने ९ वाहनों में ४१ पर्यटकों को गुपचुप तरीके से पार्क के ढिकाला जोन में प्रवेश दिला दिया. अपराहन ३ बजे य़ू के डी ने अपना धरना समाप्त कर दिया.जिसके बाद पर्यटकों को वहां आराम से जाने का मौका मिल ही गया. लेकिन य़ू के डी ने मांग ना माने जाने पर २४,२५,२६ दिसम्बर को पार्क के सभी गेटों को बंद कराने की घोषणा की है.


        दूसरी सूचना बाघ द्वारा महिला को १२ नवम्बर को मारने के बाद की है. बाघ को पकड़ने के लिए कॉर्बेट प्रशासन ने दो-दो पंजरे लगा दिए हैं. जहाँ से सूत्रों की खबर के मुताबिक १४-१५ नवम्बर की रात में बाघ एक पिंजरे के पास तक पहुंचा लेकिन वह पिंजरे के अंदर नहीं गया. बाघ को शीघ्र पकड़ने की मांग और मुआवजे की राशि को दस लाख रुपये करने को लेकर सुंदरखाल के ग्रामीणों ने कॉर्बेट पार्क के कार्यालय के बाहर सोमवार को धरना दिया. और १७ नवम्बर तक मांग पूरी ना होने पर १८ नवम्बर को पार्क के धनगढ़ी गेट पर प्रदर्शन की चेतावनी दी.अब आपको कॉर्बेट के आस-पास के वनों में हुए बाघ मानव संघर्ष के कुछ आंकड़े बताते हैं. जिनमे मानव के साथ ही बाघ भी मुश्किल में पड़े. और इसमें जो सबसे बड़ा तथ्य निकल कर सामने आया है वह है क़ि बाघों ने मानव में हमला अपने आवास क्षेत्र में किया है ना क़ि मानव आवास में.........
४ दिसम्बर २००८ को रामनगर वन प्रभाग के कोसी रेंज में महिला पर हमला हुआ और महिला गंभीर रूप से घायल हो गयी. महिला टेढ़ा के जंगल में गयी थी. और बाघ को १० जनवरी को कैद कर लिया गया.
१२ दिसम्बर२००८ को रामनगर वन प्रभाग के दैचोरी रेंज में युवक पर हमला हुआ जिसमे युवक गंभीर रूप से घायल हो गया और इस गुर्जर युवक ने बताया क़ि हमलावर बाघिन थी जो अपने शावकों के साथ थी इसलिए उसने हमला किया. इसे पकड़ने की कोई कार्यवाही नहीं हुयी.
१० जून २००९ को रामनगर वन प्रभाग के कोसी रेंज में महिला पर हमला महिला गंभीर रूप से घायल महिला लकड़ी लेने टेढ़ा के जंगल में गयी थी.इस मामले में भी बाघ को कोई दंड नहीं दिया गया.
४ फरवरी २००९ को ढिकुली की महिला को कॉर्बेट के सर्पदुली रेंज के जंगल में बाघ ने अपना शिकार बना लिया. इस बाघ को १० फरवरी २००९ को पकड़ लिया गया.
५ फरवरी २०१० को सर्पदुली रेंज में मोर्निंग वाक पर गए तीन युवकों पर बाघ का हमला. जिसमे एक युवक को बाघ ने पकड़ लिया. साथ के दोनों युवकों ने उसे हिम्मत दिखाते हुए बचा लिया इसमें तीनो युवक घायल हो गए, बताया गया क़ि हमले के स्थान पर बाघ का किल (शिकार) रखा हुआ था. इसे पकड़ा नहीं गया.
अगले ही दिन ६ फरवरी २०१० को सर्पदुली रेंज में देवीचौर की महिला बाघ का शिकार बन गयी. यह महिला भी जंगल की ओर गयी बताई गयी थी. बाघ पर कोई कार्यवाही नहीं हुयी.
१२ नवम्बर २०१० को सर्पदुली रेंज में सुंदरखाल की महिला को बाघ ने अपना शिकार बना लिया यह महिला जंगल में कड़ी पत्ता लेने गयी बताई जा रही है. इस बाघ को पकड़ने की कवायद जारी है.

   उपरोक्त आंकड़े साबित करते हैं क़ि बाघ मानव से संघर्ष की घटनाओ में बढ़ोत्तरी हो रही है, और यह आंकड़े यह भी बताते हैं क़ि बाघ मानव संघर्ष में बाघ हमला करने उनकी आबादी में नहीं आया, बल्कि मानव ने ही उनके आवास स्थल में दखल दिया है. अब इस तरह की घटनाओ में बाघ को सजा देना कितना न्याय संगत है यह मै नहीं जानता, मुझे लगता है क़ि आप लोग ही इस तरह के मामलों में बेहतर जवाब दे सकते हैं.

      

1 comment:

  1. बाघ मानव संघर्ष में बाघ हमला करने उनकी आबादी में नहीं आया, बल्कि मानव ने ही उनके आवास स्थल में दखल दिया है. अब इस तरह की घटनाओ में बाघ को सजा देना कितना न्याय संगत है यह मै नहीं जानता, मुझे लगता है क़ि आप लोग ही इस तरह के मामलों में बेहतर जवाब दे सकते हैं.
    ....aisi ghatna sunkar bahut dukh hota hai lekin ismi insaan kee kahin na kahi bhool jarur hoti hai... achhi lagi jaankari..aabhar

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