Friday, October 1, 2010

वन्यप्राणी सप्ताह: रस्म अदायगी बनकर ना रह जाए

हर वर्ष की भांति इस साल भी १ से ७ अक्टूबर तक वन्यप्राणी सप्ताह मनाया जाएगा.यह आयोजन अहिंसा के पुजारी गाँधीजी के जन्मदिन से ठीक एक दिन पहले शुरू होता है. जिससे लोगों में वन्यजीवों के प्रति दया का भाव पैदा हो सके. आज रामनगर में इसकी शुरुआत हस्ताक्षर अभियान के साथ हुयी. हर वर्ष मनाये जाने वाला वन्यजीवों का यह पर्व इस वर्ष भी कहीं रस्म अदायगी भर बन कर ना रह जाए. इस हफ्ते की शुरुआत प्रतिवर्ष एक संकल्प पत्र में हस्ताक्षर करने के साथ होती है. जिसमे लोग अपने कमेन्ट के साथ हस्ताक्षर करते है. इस साल एक पर्यटक ने वन्यजीवों के हित में जरनेटर नहीं चलाने की हिमायत करते हुए हस्ताक्षर किये.


       कॉर्बेट की सीमा पर रहने वाले आसपास के लोग भले ही शोर पैदा करना अपना जन्म सिद्ध अधिकार समझते हो. लेकिन बाहर से आये पर्यटक हमें आइना जरूर दिखा जाते हैं. इस वर्ष इस वीक में कुछ नए प्रयोग भी कॉर्बेट प्रशासन द्वारा किये जा रहे हैं. इसके तहत आज एक पांच सदस्यीय छात्रों के दल को कॉर्बेट की सीमा के आसपास के गांवों में जागरूकता के लिए साइकिल में रवाना किया गया. यह छात्र सातों दिन गाँवो में घूम कर ग्रामीणों को वन्यजीवों के पर्यावरण में भूमिका की जानकारी देंगे. इसके अलावा इस बार ७ अक्टूबर को एक संसद का आयोजन भी किया जायेगा. जिसमे कॉर्बेट से जुड़े सभी स्टेक होल्डर शामिल होंगे. जो कॉर्बेट के आधिकारियों के  सामने  अपनी  समस्या और सुझाव रख सकेंगे. इस संसद में शासन से भी प्रतिनिधि मौजूद होंगे. इसके अतिरिक्त स्कूली बच्चों के कई कार्यक्रमों के साथ ही एक बर्ड क्विज भी आयोजित किया जाएगा. इस बार आशा करनी चाहिए क़ि इसमें लगे सभी संस्थान इमानदारी से अपने कर्त्तव्य का निर्वहन करते हुए इस वाईल्ड लाइफ वीक को यादगार बना देंगे. जिसमे क़ि वन्यजीवों के प्रति लोगों में दयाभाव पैदा हो सके. यही अहिंसा के पुजारी राष्ट्रपिता को सही श्रद्धांजलि होगी. 

1 comment:

  1. Santosh Mishra- भाषण नहीं आचरण चाहिए ......

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