Thursday, October 7, 2010

पर्यावरण संसद

वन्यप्राणी सप्ताह का गुरूवार को पर्यावरण संसद के साथ समापन हो गया. पर्यावरण संसद का रामनगर में पहली बार आयोजन किया गया. इस संसद में कॉर्बेट नॅशनल पार्क से जुड़े सभी स्टेक होल्डरों ने प्रतिभाग किया. लेकिन इसमे इनकी संख्या जरूर कम महसूस की गयी. लोगों की कम तादाद  हैरत का विषय भी था. इस दौरान महाशीर कन्सर्वेशी के सुमंथो घोस ने कॉर्बेट पार्क के इतिहास और यहाँ पाए जाने वाले वन्यजीवों की जानकारी लोगों को दी. उसके बाद इमरान खान ने वन्यजीवों की महत्ता और पर्यटन ब्यवसाय पर इनके महत्व पर प्रकाश डाला.
          संसद में बोलते हुए पूर्व ब्लोक प्रमुख शिवराज सिंह ने पार्क के कारण आस-पास के ग्रामीणों को हो रही परेशानी के बारे में बताया. उन्होंने कहा क़ि यहाँ के ग्रामीणों को पार्क के नियमो के चलते कई सारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. जबकि बाहर से आये पूंजीपति यहाँ ना केवल धनार्जन कर रहे हैं बल्कि नियमो की खुले आम धज्जिया उडा रहे हैं. इसका उदाहरण उन्होंने रिजोर्ट द्वारा बरती जा रही अनियमितताओं से दिया. प्रमुख आंदोलनकारी और वरिष्ठ पत्रकार प्रभात ध्यानी ने कहा क़ि विभिन्न एनजीओ और पार्क प्रशासन द्वारा भ्रामक जानकारी दे कर ग्रामीणों पर पार्क के वन्यजीवों के लिए घातक होने का आरोप लगाया जाता रहा है. जबकि ग्रामीण कभी भी नहीं चाहते क़ि उनका कभी जंगल में बाघ और हाथी से सामना हो. इसके विपरीत बाहर से आने वाले पर्यटकों को ना इनकी चाह  होती है बल्कि वह सारे कायदे कानूनों को धता बता कर उनके करीब जाने का प्रयास भी करते है. और हाथी की सफारी को पार्क के अंदर बंद करने की मांग भी उन्होंने की. बाघ बचाओ संघर्ष समिति के नरेन्द्र शर्मा ने धनगढ़ी गेट से ही गाईड को पर्यटकों की गाडी में भेजने की बात की. साथ ही उन्होंने पार्क के आस-पास के ग्रामीणों को स्वालंबी बनाने की बात भी कही. जिससे क़ि वनों पर उनकी निर्भरता कम हो सके. इडीसी  के  चन्द्रशेखर  खुलबे ने मानव वन्यजीव संघर्ष में होने वाली क्षति के मुआवजे को बहुत कम बताते हुए उसके समय पर ना मिलने की शिकायत की. पत्रकार जीतेन्द्र पपनै ने पार्क प्रशासन द्वारा मीडिया से जानकारी छिपाने के प्रयास करने की बात कहते हुए उन्हें कवरेज के लिए पार्क के अंदर ले जाने की बात कही. और कहा की पार्क प्रशासन कोर जोन का हवाला देकर उन्हें वहां ले जाने से बचता है. पत्रकार गणेश रावत ने मुआवजे में होने वाली देरी की बात कही पत्रकार गोविन्द पाटनी ने  संरक्षण और पर्यटन को  अलग अलग विंग बनाकर संचालित करने की मांग की. रेनबो फ्रेंड्स के राजेश भट्ट ने सवाल किया क़ि संरक्षण की कीमत पर पर्यटन कहाँ तक उचित है. कॉर्बेट फ़ौंडेशन के डॉ. हरेन्द्र बर्गली ने राष्ट्रीय राजमार्ग में तेज़ गति से दौड़ रहे वाहनों से वन्यजीवों को हो रही क्षति से रोकने के उपाय करने की मांग की. पशु चिकित्सक डॉ. राजीव सिंह ने कहा क़ि एक चिकित्सक पार्क में नाकाफी है. यहाँ कम से कम तीन चिकित्सको का दल होना चाहिए. जिससे क़ि वन्यजीवों के उपचार को और प्रभावी बनया जा सके. बच्चों ने यहाँ के लिए  बुकिंग प्रणाली पर सवाल करते हुए कहा क़ि महीने में एक दिन बच्चों के लिए परमिट जारी करने का रखा जाए जिससे क़ि उन्हें भी यहाँ के वन्यजीवों के अध्ययन का मौका मिल सके. ऑनलाइन बुकिंग पर शासन के टाल मटोल रव्वये पर भी सवाल उठे.



    इस दौरान इन समस्याओं को पार्क प्रशासन ने नोट किया. इसके जवाब पार्क के निदेशक कपिल जोशी ने दिए. शासन से प्रतिनिधि के तौर पर स्थानीय विधायक दीवान सिंह बिष्ट और वन एवम वन्यजीव सलाहकार परिषद् के उपाध्यक्ष अनिल बलूनी भी मौजूद रहे. और उन्होंने इन सब समस्याओं पर शासन स्तर पर  गंभीरता से अमल करने का आश्वाशन दिया. यह आश्वासन कितने कारगर होंगे यह तो समय ही बताएगा. बाद में सात दिनों तक हुयी विभिन्न प्रतियोगिताओ के विजेताओ को पुरस्कृत भी किया गया. इस दौरान महाशीर कन्सर्वेशी द्वारा वन्यजीवों की दुनिया में बेहतर कार्य करने वाले लोगों को चुन कर उन्हें भी सम्मानित किया गया. जिनमे प्रमुख रूप से सापों के क्षेत्र में संजय छिम्वाल, कांफिलिक्ट के लिए मदन जोशी, बेहतर चिकित्सा के लिए डॉ.राजीव सिंह, चिड़ियाओं के लिए निकोला एंडआर्सन के साथ ही कुछ अन्य लोग भी शामिल थे.

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