Sunday, December 10, 2017

महाशीर के भक्षक ही बनेंगे महाशीर के रक्षक

रामनगर की लाइफ लाइन कोसी नदी में महाशीर मछलियां भी पाई जाती हैं। यह महाशीर मछलियां अब विलुप्त होने की कगार पर हैं। इन महाशीर मछलियों का शिकार बहुतायत में किया जाता रहा है। जिसके कारण यह मछलियां अब विलुप्ति की ओर हैं। मैदानी क्षेत्र में कुछ ही नदियां हैं जिनमें यह मछलियां पाई जाती है। ऐसे में कोसी नदी महाशीर मछलियों के लिए खास मानी जाती है। और मजे की बात यह है कि इन मछलियों को मारने का परमिट भी वन विभाग ही देता रहा है।
                                                         फोटो साभार संजय छिम्वाल
       अब इन मछलियों के शिकार को रोकने के लिए वन महकमा एक योजना तैयार करने जा रहा है। विभाग की यदि माने तो वह शीघ्र ही एक ऐसी योजना बनाने जा रहा है। जिसमें इनको मारने वाले धीमर ही इन्हें बचाने के काम में लगाये जायेंगे।
         विभाग अभी तक इस नदी में महाशीर के शिकार के लिए 22 धीमरों को इसके शिकार का परमिट देता आ रहा है। यह धीमर यहां से इन मछलियों का शिकार कर  बाजार में इसे बेचकर अपनी रोजी-रोटी चलाते हैं। रामनगर वन प्रभाग की डीएफओ नेहा वर्मा का कहना है कि कोसी नदी के सात पाँकेट चिन्हित किये गये हैं। जिनमें महाशीर मछली देखी जा रही है। इन पाँकेटों में अब धीमरों को नेचर गाइड बनाकर ही इसका संरक्षण किया जायेगा। इस योजना को इको टूरिज्म से जोडा जायेगा। और इन मछलियों को पर्यटकों को दिखाया जायेगा। जिसका शुल्क पर्यटकों से वसूला जायेगा। जिससे इन नेचर गाइड को वेतन दिया जायेगा।
       रामनगर वन प्रभाग की यह योजना यदि परवान चढी तो इससे जहां महाशीर मछलियों का संरक्षण तो हो ही सकेगा। साथ ही पर्यटकों को महाशीर मछली के बारे में जानने और समझने का भी अवसर मिल सकेगा।

Saturday, December 9, 2017

जल्द ही काँर्बेट नेशनल पार्क में जिप्सियों की भी हो सकती है आँनलाइन बुकिंग......

काँर्बेट नेशनल पार्क में अब परमिट के साथ ही जिप्सियों की भी आँनलाइन बुकिंग शुरु हो जाये तो आप आश्चर्यचकित ना हों। इसके लिए जिप्सी स्वामियों ने कवायद भी शुरु कर दी है। इसको लेकर जिप्सी स्वामी 9-12-17 को काँर्बेट पार्क के उपनिदेशक अमित वर्मा से मिले। जहां उन्होंने काँर्बेट पार्क के उपनिदेशक से मिलकर पार्क में जिप्सियों की रोटेशन प्रणाली शुरु करने की मांग की।



        काँर्बेट जिप्सी वेलफेयर सोसाइटी एसोसिएशन के अध्यक्ष और सचिव के साथ एक शिष्टमंडल ने इस मामले में पार्क के डिप्टी डायरेक्टर से गुरुवार को मुलाकात की। जिसमें 150 से अधिक जिप्सी स्वामियों के सहमति पत्र भी डिप्टी डाइरेक्टर को सौंपे गये। इसके साथ ही एसोसिएशन के शिष्टमंडल ने पार्क प्रशासन से रोटेशन प्रणाली शीघ्र शुरु करने की मांग की। जिससे की पार्क में जाने वाले पर्यटकों से जिप्सी स्वामी ज्यादा पैसा ना ऐंठ पायें।

            पार्क के उपनिदेशक ने उन्हे आश्वासन दिया कि शीघ्र ही इस प्रणाली को अन्य नेशनल पार्कों की तरह यहां लागू किया जायेगा। इसके लिए उच्चाधिकारियों से शीघ्र ही अनुमति लेने का प्रयास किया जायेगा। उन्होंने कहा कि इसके लिए आँनलाइन सुविधा तो शीघ्र शुरु नही हो पायेगी। क्योंकि इसके लिए आँनलाइन साँफ्टवेयर में तब्दीली करनी होगी। लेकिन तब तक इसे आँफलाइन ही शुरु किया जा सकता है। बशर्ते कि इसके लिए उच्चाधिकारियों की अनुमति मिल जाये।

      हम यह भी स्पष्ट कर दें कि काँर्बेट नेशनल पार्क में 250 जिप्सियों के पास पार्क के अंदर जाने का परमिट है। अर्थात वर्तमान में यह 250 जिप्सियां ही पार्क के अंदर जाने के लिए अधिकृत हैं। इसमें से 150 से अधिक जिप्सी स्वामी इसके लिए तैयार हैं। हांलाकि हम आपको यह भी बता दें कि कुछ जिप्सी स्वामी इसके विरोध में भी हैं। अब देखना होगा कि एसोसिएशन के लोगों ने जो 150 से अधिक जिप्सी स्वामियों के सहमति पत्र दिये हैं। वह कितने वैध हैं।